करवा चौथ का व्रत भूलकर भी न करें जानिए क्यों ? Karva Chauth Puja Special Sant Rampal Ji

करवा चौथ का व्रत भूलकर भी न करें जानिए क्यों ?

नमस्कार दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि करवा चौथ का व्रत रखना सही है या गलत ?
क्या करवा चौथ का व्रत रखना चाहिए या नहीं ?
कौन  है पूर्ण परमात्मा जिनकी भक्ति करने से मोक्ष मिलता है ?
तो चलिए जानते हैं..............................

करवा चौथ 

करवा चौथ भारतीय हिन्दू  महिलाओ द्वारा मनाये जाने वाले त्योहारों में से एक प्रमुख त्यौहार है 
महिलाएं यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखती हैं यह व्रत सुहागिन औरतें अपने पति की दीर्घायु प्राप्ति के लिए रखती हैं वहीं कुछ अविवाहित औरतें भी अच्छा वर प्राप्त करने के लिए इस व्रत को रखती हैं 


प्रचलित मान्यताएं 

प्रचलित मान्यताओं के आधार पर अपने पति की लम्बी उम्र एवम अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन हिन्दू महिलाये पुरे दिन के लिए व्रत रखकर रात्रि में चन्द्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करती हैं 
जो सुहागिन (सौभाग्यवती ) महिलायें अपने पति की आयु , स्वास्थ्य व् सौभाग्य की कामना करती हैं वे ये व्रत रखती हैं 

हांथों में मेहँदी लगाकर , हार श्रृंगार करके दुल्हन की तरह सजने को चलन समाज में अधिक बढ़ रहा है 
 




दोस्तों गूगल पर करवा चौथ के बारें में सर्च करने पर अनेक प्रचलित कहानियां सामने आई जो काल्पनिक लगती है क्योंकि यदि करवा चौथ में सच्चाई होती तो कहानी तो कहानी भी एक होती और मत भी 
जब की पवित्र पुस्तक गीता जी सभी तरह के व्रत को शास्त्र विरुद्ध साधना करना बताती है 


करवा चौथ शात्र विरुध्द साधना है 

करवा चौथ शास्त्र विरुद्ध साधना का सटीक उदाहरण है क्योंकि यदि मां की दुआओं में और पत्नी के भूखे रह कर व्रत करने में इतनी ताकत होती तो सरहद पर देश और देशवासियों की गोली से यू शहीद नहीं होता 
यहां परिवार नाते, रिश्तेदार, दोस्त, अजन्बी और हम सभी आपस में संस्कार व से जुड़े हैं पृथ्वी पर हमारा आना अचानक नहीं हुआ इसके पीछे हमारे कर्म हैं 8400000 योनियों के बाद एक मनुष्य का जन्म मिलता है 
जन्म से लेकर मृत्यु और 84 लाख जीवों के शरीर में जन्म, स्वर्ग और नरक गमन यह मनुष्य के हाथ में नहीं है 

जन्म मरण इस पर केवल परमात्मा का अधिकार है अमूल्य मनुष्य जीवन परमात्मा को पहचान कर सतभक्ति कर मोक्ष पाने के लिए मिला है मनुष्य चांद आदि ग्रहों पर घूम कर आ सकता है पर चांद को देखकर जल चढ़ा कर किसी की आयु बढ़ाने की केवल कल्पना मात्र ही की जा सकती है 
जमीन पर पानी डालकर पौधा उगाया जा सकता है पर चांद को देखकर अर्घ्य  देकर किसी की सांसे बढ़ गई हो  ऐसा संभव होता नहीं देखा

दोस्तों हमारा उद्देश्य किसी की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं है हमारा उद्देश्य है सच्चाई को आप तक पहुचाना 

विचारणीय 

जरा विचार कीजिए विकासशील देश भारत में जहां हम महिला अधिकारों और समानता की बात करते हैं वहां सतभक्ति ना करने के कारण ही पुरुष को आज भी श्रेष्ठ मानकर उसकी पूजा आरती की जाती है उसकी आयु अधिक हो जाए यह प्रार्थना की जाती है
मां के लिए सभी बच्चे समान हैं उसी तरह हम सब एक परमात्मा की संतान हैं हम एक तरफ तो महिला सशक्तिकरण और पुरुषों से बराबरी की बात करते हैं और वहीं दूसरी ओर पुरुष की अधिक आयु चाहते हैं 

कहते हैं खाली पेट और खाली दिमाग दोनों में शैतान का वास होता है भूखे पेट न तो भोजन अच्छा लगता है और न ही काम करना ऐसे में जब अपने प्राण निकल रहे हो तो दूसरे की लंबी आयु के बारे में कौन सोचता है नवजात शिशु तक भूखे पेट चुप नहीं रह सकता तो आप क्यों ?
पानी, भोजन, फल, सब्जी खाने को न मिलने पर एक ही चीज पर ध्यान लगा रहता है कि जल्दी 4:00 बजे पूजा शुरू हो और पानी पी लें और चांद निकलने पर ठूस ठूस कर खाया पिया जाए 


व्रत करना गीता के अनुसार शास्त्र विरुद्ध है

व्रत करना गीता के अनुसार शास्त्र विरुद्ध है श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 6 श्लोक 16 के अनुसार व्रत नहीं करना चाहिए गीता ज्ञान दाता कह रहा है कि हे अर्जुन यह जो भक्ति न तो अधिक खाने वाले का और ना ही अधिक बिल्कुल न खाने वाले का अर्थात यह भक्ति, न ही व्रत रखने वाले, न ही अधिक सोने वाले की और ना ही अधिक जागने वाले की सफल होती है


करवा चौथ शास्त्र विरुद्ध है

करवा चौथ शास्त्र विरुद्ध है समाज के भ्रमित लोग इसे करते हैं जो केवल देखा देखी की भक्ति को आंख मूंदकर अनुसरण करते आ रहे हैं वह ब्रह्मा, विष्णु और शिव के अंतर्गत रह कर पूजा करते हैं और यह तीनों माया यानी दुर्गा और काल के पुत्र हैं जब ब्रह्मा विष्णु और शिव जी की भी मृत जन्म मृत्यु होती है तो यह इन्हीं की भक्ति करने वालों की आयु कैसे बढ़ा सकते हैं ? यह साधक के जीवन में कोई बदलाव नहीं कर सकते उनकी शक्तियां बहुत सीमित हैं यह तीनों भगवान दुर्गा और काल मनुष्य को 8400000 योनियों में जकड़े रखते हैं इन्हें इनके जाल से बचने का उपाय केवल पूर्ण परमात्मा के पूर्ण संत के पास है जो न केवल साधक की आयु भक्ति बना देता है बल्कि तत्वज्ञान का अनमोल उपहार देकर साधक को सदा के लिए जन्म और मृत्यु के काल के जाल से आजाद करवा देता है 








पूर्ण संत कौन है ? पूर्ण संत की क्या पहचान है ? यह जानने के लिए अवश्य देखिए संत रामपाल जी महाराज जी के अमृत प्रवचन साधना चैनल पर रात्रि 7:30 से 8:30 बजे